चारधाम यात्रा से समृद्ध होगा उत्तराखंड
अगले महीने 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा का हो रहा है श्रीगणेश

जिस तरह महाकुंभ ने उत्तर प्रदेश की आर्थिकी को चार चांद लगाए उसी तरह चारधाम यात्रा भी देवभूमि उत्तराखंड को समृद्ध बना सकती है, बशर्ते सरकार पूरी निष्ठा, समर्पण और कुशलता से यात्रा की व्यवस्थाओं को अमलीजामा पहनाए। पिछले यात्राकाल में जिस तरह व्यवस्थाओं को लेकर ‘दूर के ढोल सुहावने लगते हैं’ वाली कहावत चरितार्थ हुई उससे हमें पार पाना होगा। सरकार को धरातल पर जाकर व्यवस्थाओं की निगरानी करनी होगी। अगले महीने 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा का श्रीगणेश होना है। इसको लेकर आनलाइन पंजीकरण भी शुरू हो गए हैं। पहले दिन ही जिस तरह एक लाख 65000 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया उसे देखकर तो यही लग रहा है कि इस बार बड़ी संख्या में भक्त धामों की यात्रा पर आएंगे। ऐसे में सरकार को चाहिए कि उसी के अनुरूप तैयारी कर कार्यों में तेजी लाई जाए। ऐसी स्थिति पैदा ना हो कि यात्रियों को बिना धाम के दर्शन किए ही वापस लौटना पड़े। श्रद्धालु सिर्फ चारधाम ही ना पहुंचे बल्कि यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले पंच प्रयाग और पंच बदरी-पंच केदार से जुड़े मंदिरों के भी दर्शन करें, इसके लिए सरकार की ओर से इन स्थानों का प्रचार-प्रसार करना होगा यहां पर व्यवस्थाएं चाक-चौबंद रखनी होगी। हाल ही में उत्तरकाशी दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह उत्तराखंड में 12 महीने की चारधाम यात्रा को लेकर पूरे देश-दुनिया को संदेश दिया उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके लिए देवभूमि में धार्मिक पर्यटन बढ़ाना कितना अहम है। लिहाजा प्रधानमंत्री की भी चार धाम यात्रा व्यवस्थाओं पर नजरे रहेंगी। उत्तराखंड में चार धाम यात्रा का धार्मिक महत्व तो है ही लेकिन यह यात्रा यहां के निवासियों के लिए रोजगार के दरवाजे भी खोलती है। श्रद्धालुओं की आमद के कारण यहां पर स्थानीय उत्पादों की जमकर खरीदारी होती है। होटल-ढाबे जैसे छोटे बड़े व्यवसाय गति पकड़ने लगते हैं। व्यापारी वर्ग को यात्रा का बेसब्री से इंतजार रहता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अगर चार धाम यात्रा सुगम और व्यवस्थित तरीके से अपनी पूर्णता को प्राप्त करे तो यह राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर का काम करेगी।