चड़ाक
वोट कर चोट कर…

वोट कर, चोट कर,
पथ को प्रशस्त कर।
ये अधिकार है तेरा, प्रहार है तेरा,
तू बन सजग, खुद बदल, सबको बदल।
समृद्ध होगा देश मेरा, तू अगर ‘जाग’ लेगा,
ठहर मत, आगे बढ़, निर्भीक होकर वोट कर।
लोभ-लालच और प्रपंच को तू कुचलकर,
वोट कर, चोट कर, लोकतंत्र को मजबूत कर।
– जयबर्धन डिमरी