चड़ाक

सोच-समझकर करें मतदान

आजकल निकाय चुनाव को लेकर उत्तराखंड में सियासी माहौल चरम पर है। हर पार्टी पूरे दमखम के साथ चुनाव प्रचार कर रही है। पार्षद हो या फिर मेयर पद के उम्मीदवार सभी द्वारा बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर जनता को लुभाने की कोशिश की जा रही है। इस बार तमाम अड़चनों के बाद हो रहे चुनाव कई मायनों में खास हैं। परिसीमन के बाद बदले सियासी समीकरण और प्रत्याशियों को लेकर जनता के बदले नजरिए से पार पाना सबसे बड़ी चुनौती रहेगी। इसके अलावा चुनाव आयोग के सख्त व पारदर्शी रुख और खास तैयारियां भी इस बार के निकाय चुनाव को बेहद मजबूत बनाती हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि लोकतंत्र में छोटे-छोटे चुनाव का भी उतना ही महत्व है जितना आम चुनाव का है। हमें लोकतंत्र में हमेशा ऐसे प्रतिनिधि का चुनाव करना चाहिए जो जनभावनाओं पर खरा उतरे और एक सेवक की तरह सामाजिक सरोकार के लिए अपना हर पल न्योछावर करने की शक्ति रखता हो। वह क्षेत्र का विकास तभी कर सकता है जब वह कुशल, योग्य और पढ़ा-लिखा होगा। हमें ऐसे उम्मीदवारों का बहिष्कार करना चाहिए जो मनी, मांस और मदिरा का लालच देकर वोट हासिल करने की चेष्टा करता हो। क्योंकि ऐसे प्रतिनिधि चुनाव जीतकर भष्टाचार को तो बढ़ावा देते ही हैं साथ ही निजी स्वार्थ में डूबकर लोकतंत्र की अवधारणा को तार-तार करने का काम करते हैं। अब जब चुनाव 23 जनवरी को होने वाले हैं ऐसे में उम्मीद है कि इस बार जनता बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा लेगी और ऐसे उम्मीदवारों का चयन करेगी जो सबके लिए आदर्श प्रस्तुत कर सके। 

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